Crush a love story - 1 in Hindi Love Stories by मदन सिंह शेखावत books and stories PDF | Crush a love story - 1

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Crush a love story - 1

मैं ओर सेजल स्टेज पर काफी सुंदर लग रहे थे। आज मेरी शादी का रिसेप्शन था जो सेजल के पापा ने बान्द्रा में आयोजित किया था। एक हफ्ते पहले ही मेरी सेजल से शादी हुई थी। यह एक लव मैरिज थी। हम दोनों दो साल पहले दिल्ली एयरपोर्ट पर मिले थे। सेजल को देखकर लगा था कि सेजल ही मेरे लिये बनी है। मुलाकाते बढ़ती गयी और आज हम दोनों साथ है। मेरा प्यार मेरे साथ है। सेजल मुझे अपने मेहमानों से अवगत करा रही थी। इतने में सेजल की मम्मी यानी कि मेरी सासु मां स्टेज पर आती है।

"मेरी बिटिया रानी ओर अनिकेत तुम दोनों बहुत ही सुंदर लग रहे हो। " सासु मां ने हम दोनों को आशीर्वाद देते हुए अपने दोनों हाथ से सेजल के गालों पर लाड किया।

"मम्मी देखो मैने बोला था ना मेरा हर सपना सच होगा। भगवान मुझसे कभी नाराज नही हो सकता है। देर जरूर की है अनिकेत से मिलाने में लेकिन मिला दिया।" सेजल का हर शब्द खुशियों से लबालब था। में सेजल के चेहरे को ताक रहा था।

"लेकिन सेजल बिटिया भगवान क्या चाहता है कोई नही जानता बस तुम सदा खुश रहो।" कुछ तो था जो सेजल की मम्मी अपने दिल मे छुपा रखी थी। मां के प्यार से सेजल की आंखे भर आईं थी क्योंकि वो कुछ दिनों में अपने माँ के आशियाने से दूर जाने वाली थी।
सेजल मेरे से शादी करके बहुत खुश थी। सेजल हमेशा से दिल्ली ही रहना चाहती थी। और हम दोनों जल्दी ही दिल्ली में बसने वाले थे।

आज सेजल का हर सपना सच होने जा रहा था हाल ही में जूनियर अस्सिस्टेंट इनकम टैक्स ऑफिसर की नौकरी जिसकी पोस्टिंग दिल्ली मिली थी और में भी दिल्ली में ही एम्स में डॉक्टर था।

सेजल मुझे आने वाले सभी मेहमानों के बारे में पूरा परिचय दे रही थी। निर्मला मौसी जिसे सेजल बहुत पसंद करती थी। उसका परिचय तो काफी लंबा चला था। मौसी ने तो मुझसे से काफी मजाक किया था और में भी कुछ ही पल में मौसी से रूबरू हो गया।

मेहमानों का स्टेज पर आने का सिलसिला कम होने लगा। स्टेज पर सिर्फ सेजल ओर में ही थे इतने में एक दस साल की एक लड़की स्टेज पर चढ़ रही थी। उसको देखकर में सेजल से बोला।
"अरे ये प्यारी सी लड़की कोन है?"
उस लड़की के हाथ मे एक प्यारा सा तोहफा था और वो सेजल की तरफ बढ़ रही थी। उसे देखकर सेजल सोचने लगी "ये कौन है?"

प्यारी लड़की सेजल के पास आकर तोहफा देते हुये कहती है "शादी मुबारक हो सेजल"

"लेकिन हम तो आपको जानते नही तो तोहफा क्यों" ये सवाल तो सेजल का जायज था क्योंकि वो उस लड़की से पहली बार मिल रही थी। में भी इस नज़ारे को देखकर अचंभित था।

"तोहफा तो आपको लेना ही है क्योंकि में आपके बारे में सब जानती हूँ। आपको दिल्ली में जाना है। चॉकलेट आपको बहुत ज्यादा पसंद है। तरह तरह की हेयर स्टाइल रखना आपकी हॉबी है।" इतना सुनकर सेजल ने तोहफा ले लिया लेकिन वो कुछ सवाल कर पाती उससे पहले ही प्यारी लड़की ने जाने का अनुरोध कर दिया।

"सेजल मुझे अभी जाना है क्योंकि अगर मुझे देर हुई तो मेरा अनाथालय बंद हो जाएगा और मोनिका आंटी बहुत डाँटेगी।" इतना कहकर वह प्यारी लड़की जल्दी ही चली गयी। उसे सेजल रोक भी नही पाई।में भी कुछ समझ नही पाया। सेजल तो नाम भी नही पूछ पाई थी।

प्यारी सी लड़की ने मेरे मन मे ढेरों सवाल पैदा कर दिए थे क्योंकि सेजल तो अपने दोस्तों के साथ बातें करने लग गयी थी। में सोच रहा था कोन थी, क्यों आयी थी और सबसे बड़ा सवाल वो अनाथालय में क्यों रह रही थी।

कुछ ही समय मे सब सामान्य हो गया।

"अरे मेरे को तो विश्वास ही नही हो रहा है। तुम दोनों आ गए" महेश ओर दीपाली को आते देख अचंभित होते हुए सेजल ने कहा।
"क्यों नही आते सेजल की शादी का रिसेप्शन है। शादी में तो नही आ पाए लेकिन रिसेप्शन कैसे मिस कर सकते थे।" महेश ने मुस्कराते हुय बोला। में इन दोस्तो के मिलाप का आनंद ले रहा था।

"आना तो था ही अनिकेत से जो मिलना था। हम भी देखना चाहते है कोन सेजल को हमसे दूर लेके जा रहा है" दीपाली सेजल को तोहफा देते हुय सवाल किया।

"अरे क्यों नही यही तो अनिकेत है जिसने मेरा दिल चुराया है। " महेश ओर दीपाली को मुझसे से मिलाते हुए दिल का राज खोला।
"अनिकेत ये महेश ओर दीपाली है ये दोनों मेरे साथ sbi बैंक में po की जोब में साथ थे। हमारी पोस्टिंग यही बान्द्रा शाखा में थी।" सेजल ने दोनों का परिचय मुझको दिया।
चारो आपस मे बहुत सारी बाते की। इसी बीच मुझे पापा बुला लेते है। अब तीनो स्टेज पर बाते कर रहे थे।

"दिल्ली जाकर हमे तो भूल तो नही जाओगी।" दीपाली मजाक में बोली।

"ऐसे क्यों बोल रही हो में तुम दोनों को कैसे भूल सकती हूं। अगर कभी दिल्ली आओ तो मुझे जरूर बताना।"

सेजल की ये बात सुनकर महेश ने बीच मे सवाल कर दिया। " सेजल क्या आज तुमको किसी की कमी नही लग रही है?"
ना जाने महेश ने ये सवाल क्यों किया था लेकिन सेजल के जवाब से महेश सुन्न हो गया।
" नही मेरे को तो कोई कमी नही लग रही है।"
बहुत सारी बाते करने के बाद महेश ओर दीपाली खाना खाने लग गए।
"तुमको वो कमी वाला सवाल नही करना चाहिये" दीपाली ने महैश को उसकी गलती का एहसास कराया।

"हां दीपाली तुम सही कह रही हो। लेकिन एक बात नही समझ मे नही आ रही है। ये राज कहाँ है। हमारे साथ भर्ती हुआ था। हम चारो कितनी मस्ती करते थे। लेकिन एक दम से कहाँ गायब हो गया।" महेश ने राज का ज़िक्र शुरू कर दिया।

"सही कह रहे हो। मैने सुना था कि उसने कोई दूसरी जॉब कर ली। लेकिन ना ही कोई फ़ेसबुक पोस्ट डाली और वाट्सअप भी बंद है। आज चार साल हो गए राज का कोई अता पता नही है।" दीपाली भी राज के बारे में अनजान थी। दोनों राज की बात करने लग गए। कुछ समय बाद दोनों चले गए।